वह संत से पूछने लगा कि, "प्रणाम, महात्मन क्या आप मुझे यह बता सकते हैं की इस गाव में जो भी लोग रहते हैं वह सभी लोग कैसे हैं? क्योकि में अभो अभी यहाँ आया हूँ और इस गाव में एकदम नया होने के कारण मुझे यहाँ इस गाव के वारे में ज्यादा कुछ पता नहीं है
यह बात सुनकर संत ने उसे देखा और मन ही मन सोचने लगे की यह व्यक्ति कहीं कोई गलत भावना लेके तो नहीं आया है गाव में, संत ने सोचा वेसे यह व्यक्ति बोल तो सही रहा है की यहाँ यह नया हैं क्योकि संत ने भी उस राहगीर को पहले वहां पर कभी नहीं देखा था उसके बाद संत ने उस व्यक्ति से कहा ---
"श्रीमान में प्रश्न का उत्तर बाद में दूंगा पहले मुझे यह बताओ कि तुम जहाँ से आये हो वहां के लोग कैसे?"
संत की यह बात सुनकर वह राहगीर बोला ,"उसके वारे में क्या कहूँ महाराज वहां तो एक से एक कपटी और दुष्ट लोग रहते हैं इस लिए तो में उन्हें छोड़कर यहाँ वसेरा करने के लिए आया हूँ |"
यह बात सुनकर संत ने उस राहगीर से कहा "श्रीमान तुम इस गाव की पूछ रहे हो तो तुम्हे यहाँ इस गाव में भी वेसे ही लोग मिलेंगे कपटी दुष्ट और बुरे" संत की यह बात सुनकर वह राहगीर बिना कुछ बोले वहा से आगे की और चला गया |
कुछ देर बाद एक और राहगीर उसी रस्ते से गुजरता है और संत से प्रणाम करते हुए कहता है "महात्मान में इस गाव में नया हूँ और परदेश से आया हूँ और इस गाव में बसने की इच्छा रखता हूँ लेकिन मुझे यहाँ की कोई खास जानकारी नहीं है कि यह गाव और यहाँ रहने वाले लोग कैसे हैं "
संत ने इस पर फिर से वही प्रश्न रख दिया "श्रीमान में आपके प्रश्न का जबाब बाद में दूंगा पहले आप मुझे यह बताइए की जहा से आप आ रहे हो वहां के लोग कैसे हैं "
उस व्यक्ति ने संत की यह बात सुनकर कहा "महात्मन जहाँ से में आया हूँ वहां भी सभी सुल्झे हुए और नेकदिल इन्सान रहते हैं मेरा वहां से कही जाने का कोई मन नहीं था लेकिन व्यापार के सिलसिले में मुझे अक्सर यहाँ आना जाना पड़ता है और यहाँ की आबोहवा भी मुझे भा गयी है तो मेने सोचा में यही अपना वसेरा कर लेता हूँ तो इस लिए मेने आपसे यह प्रश्न पूछा था
उस राहगीर की यह बात सुनकर संत ने कहा कि"श्रीमान आपको यहाँ भी नेकदिल और भले लोग ही मिलेंगे | वह राहगीर भी उन्हें प्रणाम करके आगे बढ़ गया |
संत के सभी शिष्य यह सब देख रहे थे तो राहगीर के जाते है उन्होंने संत से पूछा की " गुरु जी यह क्या अपने दोनों राहगीरों को अलग अलग जबाब क्यों दिया"
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यह बात सुनकर संत ने मुश्काराते हुए जबाब दिया आमतोर पर हम अपने आस पास की चीजों को जैसे देखते हैं वेसी बो होती नहीं हैं इसलिए हम अपने अनुसार अपनी दृष्टि (POINT OF VIEW) से चीजों को देखते हैं और ठीक उसी तरह से हम हैं यदि हम अच्छाई देखना चाहें तो हमें अच्छे लोग मिल जौएँगे और यदी हम बुराई देखना चाहें तो हमें बुरे लोग भी मिल जाएँगे सब देखने के नजरिये पर निर्भर करता हैं जरुरी नहीं कि एक व्यक्ति को कुछ अच्छा लग रहा तो किसी दुसरे को भी वह अच्छा लगे |
तो दोस्तों इस कहानी से हमें सिख मिलती है सब हमारे समझने और हमारे नजरिये पर निभर करता है कि कहाँ क्या अच्छा है और कहा क्या बुरा है उम्मीद करते हैं आपको यह कहानी पसंद आई होगी यही पसंद आई हो तो अपने दोस्तों के साथ जरुर शेयर करें और दोस्तों यहाँ पर आपको इस प्रकारी की बहुत सारी कहानियां मिल जाएँगी और उम्हे भी पढना न भूलें हम मिले है आपको किसी और कहानी में तब तक के लिए अलविदा|
कहानी पढने के लिए अपका धन्यबाद